कविता

अच्छी दोस्ती

अचानक दो लोग
एक दूसरे से मिलकर
एक दूसरे से बातकर
शुरू करती है रिशता दोस्ती का

बहुत साल लगाकर
एके दूसरे के साथ रहकर
एके दूसरे के लिए खड़ा होकर
बनाती है अच्छी दोस्ती का

जब एक रोयी तो दूसरा भी रोये
जब एक हँसी तो दूसरा भी हँसे
जब एक दुखी तो दूसरा सँभाले
होती है ज़िम्मेदार अच्छी दोस्ती का

ये सब आज की दुनिया में
बहुत कुछ लोगों में से
गायब होते जा रहा है
पावन रिशता दोस्ती का

किस्मतवाले लोग हैं वे
जिसे मिलता है यह
पवित्र सुंदर रिशता
अपने जीवन में

— तारुका निर्माणी, श्री लंका

तारुका निर्माणी, श्री लंका

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