कविता

नयी रातें

हो चली अब पुरानी बातें
नया जमाना नयी हैं रातें
सोचो जरा—
उनका क्या होगा?
जो करते थे
केवल गरीब की बातें,
भूखी रखते थे
गरीब की आंतें

पुँजीवाद की बेबजह बुराई करना
लोंगों को रोजगार ना देना
समाजवाद की केवल बातें करना
गरीबी की गरीबी दूर ना करना
केवल गरीबों की भावनाओं से खेलना
हो चली अब पुरानी बातें
नया जमाना नयी हैं रातें…

संगीता कुमारी

पिता का नाम---------------श्री अरुण कुमार माथुर माता का नाम--------------श्रीमती मनोरमा माथुर जन्मतिथी------------------- २३ दिसम्बर शिक्षा सम्बंधी योग्यता-----दसवीं (सी.बी.एस.ई) दिल्ली बारहवीं (सी.बी.एस.ई) दिल्ली बी.ए, दिल्ली विश्वविद्धालय एम.ए (अंग्रेजी), आगरा विश्वविद्धालय बी.एड, आगरा विश्वविद्धालय एम.ए (शिक्षा) चौधरी चरणसिंह विश्वविद्धालय रुचि--------------------------पढना, लिखना, खाना बनाना, संगीत सुनना व नृत्य भाषा ज्ञान-------------------हिंदी, अंग्रेजी काव्य संग्रह--- ह्रदय के झरोखे (यश पब्लिकेशन दिल्ली, शाहादरा) कहानी संग्रह--- अंतराल (हिंदी साहित्य निकेतन, बिजनौर उत्तर प्रदेश) काव्य संग्रह संगीता की कवितायें (विंध्य न्यूज नेट्वर्क) पता--- सी-72/4 नरोरा एटॉमिक पावर स्टेशन, टाउन शिप, नरोरा, बुलंदशहर उत्तर प्रदेश, पिन—203389 मोबाईल नम्बर—08954590566 E.mail: [email protected] [email protected] www.sangeetasunshine.webs.com

One thought on “नयी रातें

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी कविता.

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