सहमति और प्रेम
सहमत होना
और प्रेम करना
बिलकुल अलग बातें हैं
सहमत होने से आप
केवल अनुयायी बन पाते हैं
जबकि प्रेम करने से
‘मनुष्य’ बनने की संभावनाएँ
सौ गुणा बढ़ जाती हैं
ये अलग बात है कि
मनुष्य होना
सबसे बड़ी उपलब्धि है !
इसलिए कोशिश करो
कि प्रेम ही जीवन में आने दो
और
अनुकरण छोड़ दो
पिछले पैरों पर खड़े हुए पशुओं के लिए !
— सागर तोमर