यही राष्ट्रवाद के उदय का सम्मान
“भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ।” यही भाव हम सभी का होना चाहिए। राष्ट्रवाद के हिलोरे ले रहे इस सफरनामा में कुछ ऐसे वाक़िए, घटना, अनहोनी कहें या फिर हमारा अपने देश के प्रति समर्पण के भाव का दृष्टिकोण, जिसमें राष्ट्र ही सर्वोपरि रहा हो, तो ऐसे संकेत या अनोखी सजा जबलपुर उच्च न्यायालय ने इस बात को ध्यान में रखते हुए जब २१ बार तिरंगे को सलाम और भारत माता की जय बोलने की दी तो मन प्रफुल्लित हो गया। हाल ही में रील बनाने के चक्कर में कुछ दोस्तों ने मिलकर खुरापाती चक्रव्यूह रचा और इस वीडियो में पकिस्तान के समर्थन में नारे लगाते हुए इसे इन्टरनेट पर बहुप्रसारित कर दिया। तब पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी फैजान को जेल भेज दिया। फैजान ने जमानत की गुहार लगाई तो न्यायालय ने उसे पश्चाताप का मौका देते हुए विशिष्ट शर्त पर जमानत दे दी। इसमें प्रत्येक माह के प्रथम और चौथे मंगलवार को भोपाल के थाने में सुबह तिरंगे को २१ बार सलामी देगा और २१ बार ही भारत माता की जय बोलेगा। युवा पीढ़ी ज़रा-से प्रचार के चक्कर में भटक जाती है। इन्हीं भटके हुए नवजवानों को देश के प्रति समर्पित करने का वक्त आ गया है। जिस प्रकार सम्मान-मान- मर्यादा होना अच्छे इंसान का फ़र्ज़ है, उसी प्रकार अपने देश के प्रति समर्पित होना ही होगा। इस तरह की सकारात्मक पहल से युवा पीढ़ी में राष्ट्रवाद के उदय का सही समय है। नौजवानों ने गुलाम भारत की वह पीडा नहीं झेली है, वह लाठी, गोली, बन्दूक व अन्य यातनाएं नहीं सही हैं, इसलिए उन्हें देश के प्रति समर्पण भाव नहीं आते हैं।
भारत एक देश मात्र नहीं है, भारत भविष्य का आइना है। यह ‘वसुधैव कुटुम्बकम के भाव के साथ एकता व अखंडता का सही साथी है। भारत सत्य-अहिंसा का प्रबल पक्षकार है। देश-दुनिया में सबसे मिलनसार एवं विश्व शांति का हितैषी भारत है तथा युवाओं को इस बात का बोध कराना हम सभी की सामाजिक व राष्ट्रीय जिम्मेदारी है। नव वर्ष, ईद, होली, दीपावली मानने और मनाने वाले भारत में सभी धर्म-जातियों का गठजोड़ है। यही एकता हमें कुटुम्ब बनाती है। भाईचारे को बढ़ाती है, भेदभाव को मिटाने के लिए यह सबसे पहले काम आती है, क्योंकि दशकों से गंगा-जमुनी संस्कृति, एकता-भाईचारे का साथ रहा, पर कुछ वर्षों से आधुनिकता की अंधी दौड़ चल रही है, जिसमें हम अपने आज को कहीं खो ना बैठें। यह अंतराल जो कल-आज-कल में आ गया है, उसके कारण युवा पीढ़ी भटकाव के रास्ते पर चल पड़ी है। इन्हें सुधारने हेतु एक ही बात कहना होगी कि “है प्रीत जहां की रीत, मैं बात वहां की सुनाता हूँ, भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात बताता हूँ।”
हमारे पड़ोसी दुश्मन देश इस भाईचारे को तुड़वाने के लिए धर्म- जात-पात के नाम पर आपस में वैमनस्य पैदा करना चाहते हैं, लेकिन कुछ ऐसी मजबूत संस्था व व्यक्ति हैं, जो इस पर सख्त कार्रवाई करते हैं। जनसेवा- राष्ट्रसेवा के भाव से ओत-प्रोत भारत की न्यायपालिका जब मजबूत है। कानून की पकड़ से कोई भी मुल्जिम नहीं बच सकता है, पर युवा वर्ग अगर कुछ देशद्रोही काम करता है तो उसके विचारों के भटके भविष्य कों सुधारने हेतु एक मौका देकर उस युवा विचार को देश से जोड़ने हेतु न्यायालय अनूठी सजा देता है। ऐसी न्यायपालिका को साधुवाद। राष्ट्र के प्रति जिम्मेदार होने का फ़र्ज़ हम सभी को मिलकर निभाना होगा। ऐसे ही यह गुलशन हमेशा आबाद रहेगा और इसी से युवा पीढ़ी में राष्ट्रवाद का उदय होगा, क्योंकि हम सभी के लिए भारत सर्वप्रथम होना चाहिए। यही राष्ट्रवाद का सम्मान भी है।
— हरिहर सिंह चौहान