लघुकथा

दुआं व दवा 

‘दर्द से तड़पती हुई एक बुढ़ी अम्मा सरकारी अस्पताल के एक पलंग पर बिमारी के कारण जोर जोर से चिल्ला रही थी। मेने देखा तो कुछ क्षण के लिए में रुका। वह अपने परिवार वालों को याद कर रहीं थी, अपने बेटे बहू व पोते को बुला रही थी। लेकिन उसके आसपास कोई नहीं था। में बड़े डाक्टर के पास गया, सर नमस्कार अभी में वार्ड के बहार से गुजर रहा था। वहां एक बुढ़ी अम्मा बहुत दुखी वह रो रही है क्या परेशानी हैं ? सर उन्हें क्या हुआ है। डाक्टर साहब बोले क्या नाम है आपका, सर मेरा नाम राहुल है।  डाक्टर साहब बोले राहुल जी इस अम्मा को किडनी व हार्ट की समस्या है और इनके बच्चे व परिवार वाले इन्हें अस्पताल के बहार छोड़ कर चले गए। इस बुढ़ी अम्मा को दुआं व दवा दोनों की जरूरत है। हम तो अपना फ़र्ज़ निभा कर दवा तो कर रहे हैं। अब दुआं देखो कौन करता है। राहुल एक दवाई की कम्पनी में सेल्समैन था वह आता जाता रहता था। डाक्टर साहब से राहुल बोला में जरूर इस अम्मा के लिए दुआं करुंगा। ईश्वर के आगे इनका नाम लेकर जरूर बोलूंगा। इस बेचारी लाचार बुढ़ी अम्मा को ठीक कर दो भगवान।आप जैसे सज्जन लोगों की दुआं के कारण वह जल्दी अच्छी हो जायें। हम सभी पूरा प्रयास कर रहे हैं। इतना कह कर राहुल वहां से चला गया। अस्पताल के आगे बने मंदिर में उन बुढ़ी मां के नाम लेकर एक दीपक जला कर ईश्वर से विनती कर रहा था वह जल्दी ठीक हो जाये। जब कुछ दिन बाद वह फिर उसी अस्पताल पहुंचा उसने उसी वार्ड में नजर डाली तो देखते हुए उस अम्मा के पास उनके बेटे बहू पोता पोती और परिजन सभी वहा खड़े थे अम्मा हंसते हंसते सभी से बात कर रही थी। वह एकदम स्वस्थ नजर आ रही थी। इसी बीच डाक्टर साहब आयें अरे राहुल केसे हो सर में विजिट पर आया था। सर मेने सोचा बुढ़ी अम्मा को देख लूं , वह कैसी है। यहां देखकर तो ईश्वर के चमत्कार के आगे में नतमस्तक हो गया। मुझे विश्वास हो गया कोई ना कोई शक्ति जरूर है। मेने यह देख लिया दुआं व दवा दोनों में दम है। क्योंकि मरने वाला भी भगवान है और बचाने वाला भी वही है।

— हरिहर सिंह चौहान

हरिहर सिंह चौहान

जबरी बाग नसिया इन्दौर मध्यप्रदेश 452001 मोबाइल 9826084157

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