हे दयावान !
दया करो, हे दयावान !
इस निर्धन के घर आ जाओ
बिगड़े सब काम बना जाओ ।
दया करो, हे दयावान !
तम से घिरी हृदय कुटिया
सद्ज्ञान का दीप जला जाओ ।
दया करो, हे दयावान !
शूल बिछे हैं राहों में,
चलने की हिम्मत दे जाओ ।
दया करो, हे दयावान !
अज्ञान से मुक्ति मिल जाये
वह तत्व ज्ञान दे जाओ ।
दया करो, हे दयावान !
काम, क्रोध, लोभ ने सताया
कृपा करो, मुक्ति दे जाओ ।
दया करो, हे दयावान !
आवागमन का चक्कर छूटे
ऐसा आत्म बोध दे जाओ ।
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा