लोग बदलते देखे हैं
माना लोगों ने अक्सर मौसम बदलते देखें हैं,
हमने तो मौसम से पहले अब लोग बदलते देखें हैं।
वो रिमझिम की बारिश की बूंदों में, कुछ ख्वाब सजाकर देखे थे,
वो ख्वाब सजाने को अक्सर सपने उठकर के देखे थे।
टूट गए सपने सारे, अब बदल गए अपने सारे,
हर जगह जगह, हर शहर शहर बस ,भेष बदलते देखें हैं,
हमने तो मौसम से पहले अब लोग बदलते देखे हैं।
वो सपने जो कभी अपने थे, अब चले गए सब बिखर गए,
बस यादें अब बस यादें यूं ही,आंखों में,
अब आशु बनकर निकल रहीं
माना लोगों ने लोगों के हर शौक बदलते देखें हैं,
हमने तो मौसम से पहले बस लोग बदलते देखें हैं।