स्वास्थ्य

जिह्वा है बड़े काम की

आप सभी ने अपने दादा, दादी, नाना, नानी को वृद्ध होते देखा होगा यानि छोटेपन से उनके साथ समय अवश्य ही बिताया होगा। उसी दौरान आपने पाया होगा कि धीरे धीरे वे शिथिल होते जाते हैं। कभी उनके दाँतों में तकलीफ होती है तो कभी आँखों में। इसी प्रकार अनेक अंग से वे लाचार होते चले जाते हैं। यहाँ तक की दाँतों की चिकित्सा पश्चात भी एक समय बाद उससे रूचि पूर्वक भोजन करने में असुविधा हो ही जाती है। इसी प्रकार आँखों में लेन्स प्रत्यारोपण पश्चात भी तकलीफ महसूस होती ही है। घुटनों के साथ भी इसी प्रकार की तकलीफ सहन करनी पड़ती है और तो और कान भी तकलीफ देना शुरू कर ही देते हैं।

जैसा आप सभी प्रबुद्ध पाठक जानते ही हैं कि खट्टा हो या मीठा या फिर चटपटा, जब छोटे बच्चे के मुँह में चखायेंगे तो जो प्रतिक्रिया परिलक्षित होगी वही प्रतिक्रिया जवान व्यक्ति ही नहीं व्यक्त करेगा बल्कि वही प्रतिक्रिया बूढ़े व्यक्ति से भी देखने को मिलेगी । जिसका मतलब यह है कि जीभ का आवेश जीवन के आखरी क्षण तक रहता है यानि जिह्वा जो है वह हमेशा जवान ही रहती है भले ही उम्र बढ़ने के साथ शरीर के अन्य अंग शिथिल पड़ने लगते हों लेकिन ऐसा जिह्वा के साथ नहीं होता।

इसी कारण के चलते जिह्वा के रंग ढ़ंग से बिमारी का पता हर उम्र में लगाया जा सकता है । इसलिये ही आप सभी ने पाया होगा कि साधारणतया बहुत कम एलोपैथिक डॉ , लेकिन हर आयुर्वेदाचार्य या होमियोपैथिक तो हर उम्र के रोगी की जीभ अवश्य ही देखते हैं। आपके ध्याननार्थ अब संक्षेप में जिह्वा के गुणों के साथ-साथ जिह्वा से किन किन बीमारियों का पता लगता है यहाँ उल्लेख कर दे रहा हूँ –

1) स्वस्थ्य इंसान की जीभ का रंग हमेशा गुलाबी होता है।

2) जीभ में पीलापन हमेशा बुखार या पेट से जुड़ी समस्या को दर्शाता है।

3) यदि जिह्वा का रंग सफेद है तो यह फंगल संक्रमण का अन्देशा जाहिर करता है।

4) बैक्टीरिया इत्यादि के ज्यादा जमाव के कारण जीभ काली पड़ने लगती है।

5) इसी तरह सामान से ज्यादा समतल जीभ का होना शरीर में आयरन, विटामिन व फोलिक एसिड की कमी को बताता है।

6) जीभ शरीर के अन्‍य हिस्‍सों की तुलना में ज्‍यादा तेज़ी से घाव को भर देती है।

7) अंगुली की छाप [फिंगर प्रिंट] की तरह मनुष्य की जीभ के निशान भी अलग-अलग होते हैं।

8) जीभ लगभग दस हजार स्वाद पहचान सकती है।

9) जीभ में हड्डी नहीं होती।

10) जिह्वा पर महत्वपूर्ण तरीके से नियमित लार का अभिषेक होता रहता है।

उपरोक्त सभी तथ्यों के मद्देनजर जिस किसी ने भी कहा है कि, ये जो “जीभ” है, इसे चिरकाल जवानी प्राप्त हुई है से आप सभी भी, अब इतना सब जानने के बाद पूर्णतया सहमत होंगें । लगता है इन्ही सब कारणों के चलते ही महान संत कबीर दासजी ने हम सभी को समझाते हुये कहा –

जिभ्या जिन बस मे करि, तिन बस कियो जहान
नहि तो अवगुन उपजै, कहि सब संत सुजान।

भावार्थ :- जिसने अपने जिहवा को नियंत्रित कर लिया है वह वस्तुतः संसार को जीत लिया है। अन्यथा अनेक अवगुण और पाप पैदा होते हैं- ऐसा ज्ञानी संतों का विचार है।

— गोवर्धन दास बिन्नाणी “राजा बाबू”

गोवर्धन दास बिन्नानी 'राजा बाबू'

जय नारायण ब्यास कॉलोनी बीकानेर / मुम्बई 7976870397 / 9829129011 [W]

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