मस्तिष्क सक्रिय होता है हाथ से लिखने पर
यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट लुइस ने टाइपिंग और मेमोरी रिटेंशन के बारे में अधिक जानने के लिए 2012 में एक अध्ययन किया और पाया कि जो छात्र कम्प्यूटर पर नोट्स टाइप करते हैं, वे 24 घंटे बाद ही महत्वपूर्ण जानकारियां भूलने लगते हैं। वहीं, हाथ से नोट्स लिखने वाले लोगों ने न केवल महत्वपूर्ण जानकारियों को एक सप्ताह बाद भी याद रखा, बल्कि सिखाई गई अवधारणाओं पर बेहतर पकड़ भी प्रदर्शित की थी।
चेतनादित्य आलोकजीवन का कम से कम एक क्षेत्र आज भी ऐसा है, जिसका पुराने रूप में यानी ‘पुराना स्कूल’ बने रहना ही बेहतर होगा और वह है- हाथ से लिखना। दरअसल, हाथ से लिखने के अनेक लाभ होते हैं, जिनमें प्रमुख रूप से लेखन एवं भाषा का कौशल और विकास शामिल हैं। जाहिर है कि मोबाइल, टैबलेट, कम्प्यूटर आदि पर टाइप करने से ये लाभ कतई नहीं मिल सकते। यही कारण है कि हस्तलेखन को मनुष्य के सबसे अद्भुत एवं प्रभावशाली खोजों में से एक माना जाता है। हालांकि, ऑनलाइन के जमाने में अब हाथ से लिखना पुरानी बात होती जा रही है। इसके बजाय लोग अब टाइप कर विचार प्रेषित करना अधिक पसंद करने लगे हैं, बल्कि अब तो लोग ‘वॉइस टाइपिंग’ यानी बोलकर लिखने का कार्य करने लगे हैं। तात्पर्य यह कि अब लिखने के लिए कागज और कलम की नहीं, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों यथा मोबाइल, टैबलेट, टाइपराइटर, कम्प्यूटर, लैपटॉप आदि की जरूरत है। आधुनिकता की इस अंधी दौड़ में धीरे-धीरे लोग हाथ से लिखना-पढ़ना भूलते जा रहे हैं, जिसके कारण हाथ से लिखने की कला पर खतरा मंडराने लगा है। चिंता इस बात की अधिक है कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए हाथ से लिखना कहीं इतिहास की बात होकर न रह जाए। उम्मीद थी कि स्कूलों में हाथ से लिखने-पढ़ने की प्रक्रिया बची रहेगी, परंतु वहां भी अब डिजिटलीकरण पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा है।
पहले शिक्षक ब्लैक-बोर्ड पर चॉक से लिखकर बच्चों को पढ़ाते थे, जबकि आजकल वे कम्प्यूटर प्रोजेक्टर के माध्यम से स्मार्ट-बोर्ड पर पढ़ाने लगे हैं। इसी प्रकार, पहले स्कूलों में अच्छी लिखावट को प्रोत्साहित किया जाता था। परीक्षाओं में इसके लिए अलग से अंक भी निर्धारित होते थे, परंतु दुर्भाग्य से अब इस ओर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता। हस्तलेखन विशेषज्ञ डॉ. मार्क सीफर का मानना है कि हस्तलेखन की क्रिया एक प्रकार की ‘ग्राफोथेरैपी’ होती है, जिसका अर्थ अपने व्यक्तित्व में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए अपनी लिखावट में जागरूकतापूर्ण परिवर्तन करना होता है। मान लिया जाए कि कोई व्यक्ति कोलाहल से ऊब चुका है और वह शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहता है, तो डॉ. सीफर के अनुसार उसे प्रतिदिन अपने लक्ष्य से संबंधित विवरण को 20 बार लिखना चाहिए। वे कहते हैं कि ऐसा करने से वास्तव में व्यक्ति भीतर से शांत हो जाएगा।
एक अनुमान के मुताबिक कुल आबादी का लगभग 15 प्रतिशत लोगों में भाषा-आधारित सीखने की विकलांगता पाई जाती है, जिनमें बड़ी संख्या डिस्लेक्सिया से पीड़ित लोगों की होती है। वहीं, विशेषज्ञ मानते हैं कि हाथ से लिखना डिस्लेक्सिया से पीड़ित लोगों के लिए विशेष रूप से सहायक होता है। शैक्षणिक चिकित्सक डेबोरा स्पीयर के अनुसार कर्सिव में सभी अक्षर एक आधार रेखा पर शुरू होते हैं और कलम बाएं से दाएं की ओर तरल रूप से चलती है।
यही कारण है कि डिस्लेक्सिक छात्रों के लिए, जिन्हें शब्दों को सही ढंग से बनाने में परेशानी होती है, कर्सिव सीखना आसान होता है। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट लुइस ने टाइपिंग और मेमोरी रिटेंशन के बारे में अधिक जानने के लिए 2012 में एक अध्ययन किया और पाया कि जो छात्र कम्प्यूटर पर नोट्स टाइप करते हैं, वे 24 घंटे बाद ही महत्वपूर्ण जानकारियां भूलने लगते हैं। वहीं, हाथ से नोट्स लिखने वाले लोगों ने न केवल महत्वपूर्ण जानकारियों को एक सप्ताह बाद भी याद रखा, बल्कि सिखाई गई अवधारणाओं पर बेहतर पकड़ भी प्रदर्शित की थी। तात्पर्य यह कि हाथ से लिखने से याददाश्त बढ़ती है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि हाथ से लिखने से दिमागी शक्ति का अधिक उपयोग होता है।
इंडियाना यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान की प्रोफेसर कैरिन जेम्स ने एक अध्ययन में बच्चों से एक अक्षर टाइप करने, ट्रेस करने या चित्र बनाने के लिए कहा और जब बच्चे यह सब कर रहे थे तब उनकी एमआरआई की गई। गौरतलब है कि एमआरआई में हाथ से पत्र लिखने वाले बच्चों के मस्तिष्क तीन स्थानों पर चमक उठे थे। अर्थात् हाथ से पत्र लिखने से मस्तिष्क के महत्वपूर्ण तंत्रिका मार्ग जुड़े हुए थे। इसी प्रकार, 2009 में वाशिंगटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन प्राथमिक-आयु वर्ग के छात्रों ने कागज पर कलम से रचनात्मक कहानियां लिखीं, उनका प्रदर्शन उनके साथियों से बेहतर था।
शोधकर्ताओं के अनुसार हाथ से लिखने वाले न केवल टाइपर्स की तुलना में अपना काम तेजी से पूरा करने में सक्षम थे, बल्कि उन्होंने पूर्ण वाक्यों के साथ लंबी रचनाएं भी लिखी थीं। इन्हीं विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए हस्तलेखन को बढ़ावा देने और हस्तलेखन के माध्यम से व्यक्तित्व को अच्छा बनाने के उद्देश्य से भारत में वर्ष 1977 में ‘राष्ट्रीय हस्तलेखन दिवस’ की शुरुआत की गई थी। उसके बाद से प्रत्येक वर्ष 23 जनवरी को राष्ट्रीय हस्तलेखन दिवस मनाया जाता है। देश में हस्तलेखन को तेजी से प्रोत्साहित करने के लिए बच्चों में इसके प्रति रुचि पैदा करना जरूरी है। साथ ही, घरों और स्कूलों में बच्चों को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों यथा मोबाइल, टैबलेट, टाइपराइटर, कम्प्यूटर, लैपटॉप, स्मार्ट-बोर्ड आदि पर ज्यादा निर्भर होने से बचना होगा। इसके अतिरिक्त, उन्हें हाथ से लिखने के लिए बार-बार और लगातार प्रेरित और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। चाहे इसके लिए प्रलोभनों का भी सहारा क्यों न लेना पड़े। बता दें कि हाथ से लिखने से बच्चों का शैक्षिक आधार मजबूत होता है, क्योंकि इससे उनकी याददाश्त में वृद्धि होती है और मस्तिष्कीय शक्ति का अधिक से अधिक उपयोग होने के कारण मस्तिष्क की सक्रियता भी बढ़ती है। जाहिर है कि बच्चों का शैक्षिक आधार मजबूत होने से देश की नींव मजबूत होगी। तात्पर्य यह कि इससे हमारा राष्ट्र सशक्त होगा।
— विजय गर्ग