हास्य व्यंग्य

महाकुंभ की माया में मानव

‘म’ वर्ण से बनने वाले शब्दों अथवा घटनाओं के कारण ‘म’ से महाकुंभ 2025 कई मामलों में सुर्खियां बटोर रहा है। माया, महामाया, मनोहर एवं मनोरंजक मिश्रित दृश्य वाले महाकुंभ में श्रद्धालुओं की विभिन्न कोटियां मनोवांछित मतलब के उद्देश्य से मेले में चलते, गिरते-पड़ते और भटकते हुए दिखाई दे रही हैं। ‘म’ महापुरुष, महिला, मठाधीश से मुख्यमंत्री तक, हर कोई संगम में तन को मन से गीला करने में लगा हुआ है। कोई ‘म’ से मल या मैल धोने, कोई ‘म’ से मोक्ष प्राप्त करने या ‘म’ से मनोरथ सिद्ध करने के लिए डुबकी लगा रहा है। किसी युग में समुद्र मंथन से अप्सरा रंभा निकली थी, उसी तरह महाकुंभ मंथन 2025 में ‘म’ से मनका ( माला) बेचने वाली मलिका (सुंदर स्त्री) का अवतरण हुआ है। ‘म’ से मोनालिसा का जादू महाकुंभ में ऐसा छाया कि कई लोगों ने उसके साथ सेल्फी लेकर अमृत स्नान वाला पुण्य प्राप्त कर लिया। इस महाकुंभ में ‘म’ से मत्सरी महात्मा अर्थात गुस्सैल साधु महाराज का भौकाल भी देखते बन रहा है। साइलेंट प्रवृत्ति वाले महात्मा का वायलेंट मोड वाला वीडियो कब वायरल हो जाए, यह महादेव को भी नहीं मालूम। बाबाजी एटीट्यूड से ऐसा प्रतीत होता है कि तथाकथित महात्मा जी आम जन की तरह महंगाई, परिवार, रोजगार अथवा राष्ट्रीय मुद्दे की चिंता से तनावग्रस्त हैं। रौद्र रूप धारण करते हुए मनोविकार को कभी किसी यूट्यूबर पर, तो कभी किसी अन्य पर थप्पड़, लाठी, चिमटा और त्रिशूल तान कर निकाल रहे हैं। ‘म’ से ममता कुलकर्णी का महामंडलेश्वर बनने से कई लोगों का हाजमा खराब हो गया है। ऐसा लग रहा है कि सुंदरी से साध्वी बनने वाले कृत्य पर भले ही उनको राणाजी माफ कर दें, लेकिन उनके फैंस और विरोधी कभी माफ नहीं करेंगे।
‘म’ से मौनी अमावस्या वाले दिन मचे भगदड़ के कारण मोक्ष के बजाय मृत्यु प्राप्त होने वाले दर्जनों श्रद्धालुओं ने मीडिया एवं राजनीतिक दलों को सर्दियों में गरमागरम ‘म’ से मुझ उपलब्ध कराने में महती भूमिका निभाई। ‘म’ से मुसाफिर को महाकुंभ तक पहुंचने अथवा घर वापसी के लिए यात्रा के दौरान जो ‘म’ से मशक्कत करनी पड़ रही है, वह देखते ही बनती है। ट्रेन के अंदर घुसने के लिए एक-दूसरे पर बोतल का पानी फेंकना, धक्का-मुक्की करना, ट्रेन की बंद दरवाजे-खिड़कियों को पीटना, ट्रेन की बंद गेटों पर लटक कर रेलवे यात्रा कर रहे श्रद्धालुओं की जो तस्वीरें और वीडियो सामने आ रही है, वह इस बात का प्रमाण है। कि जनसंख्या के मामले में हम विश्व गुरु हैं और भीड़ जुटाने के मामले में हमारा कोई वैश्विक जोड़ीदार नहीं है। ओवरलोड ट्रेन या बसों में सीट प्राप्त कर लेना श्रद्धालुओं के लिए अमृत स्नान से कम नहीं माना जा रहा है। ‘म’ से मजे की बात यह है कि यहां मक्कार प्रवृत्ति वाले मानव दूसरों का माल, मन, मोबाइल चुराकर मालामाल बनने की जुगत हुआ है, तो वहीं दूसरी ओर छोटी- बड़ी गाड़ियों में सवार कुछ यात्री अमृत स्नान करके लौटते समय, तो कुछ अमृत स्नान को जाते समय दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण यमराज का मार्च क्लोजिंग वाला डाटा फरवरी में ही पूरा करने में सहयोग कर रहे हैं। बहरहाल ‘म’ से मनोहारी और मदहोश करने वाले दृश्यों के बीच इंटरनेट मीडिया पर तौलिया में स्नान की जाती हुई युवती अथवा बाबाजी के साथ सेल्फी लेती हुई देसी-विदेशी महिलाओं की कुछ अनसेंसर्ड तस्वीरें या वीडियो भी सामने आ रही हैं, जिनके व्यूज को देखकर इस बात का आकलन किया जा सकता है कि मेटा के उपभोक्ता भी महाकुंभ के विभिन्न स्नानों में मानसिक गोता लगा रहे हैं।

— विजय गर्ग

विजय गर्ग

शैक्षिक स्तंभकार, मलोट

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