पुलवामा शहीदों के नाम
तूफ़ानी मौजों से कह दो वो ख़ुद मिलने आती है
हिंदुस्तानी कश्ती है बस इतना तआरुफ़ काफ़ी है
काँटों रस्ते से हट जाओ पर्वत तुम भी झुक जाओ
आते हैं वो लेके तिरंगा जिनकी वर्दी ख़ाकी है
हमको मिटाने आये थे तुम फिर क्यों पीछे हटने लगे
छोड़ दिया मैदान अभी से जंग अभी तो बाकी है
तिष्ना लब तक आते आते ख़्वाब नशे के टूट गए
कैसा है मैख़ाना यारो मदिरा है ना साकी है
चाह अधूरी जीत अधूरी इस दिल को मंजूर नहीं
इक दिन वो भी पूरी होगी बात रही जो आधी है
तोपों की गूँजो से निकली शहनाई की आवाज़ें
मंगल गीत सुनाए सरहद आज किसी की शादी है
— राजेश कुमारी राज