गीत/नवगीत

प्यारी सखी !!

जब से दे खा है तुम को हे प्यारी सखी
सुध बुध खोए हुए हम तो प्यारी सखी!!

रूप परियों सा तुमको दिया राम ने
जिसने देखा वही दिल लगा थामने,
हुस्न का एक बहता दरिया हो तुम
नीले अम्बर से उतरी हमारी सखी!!
जब से देखा है तुमको हे प्यारी…..!

आरती के दिए सा(ये) लरजता बदन
जैसे पायल बजाती नवेली दुल्हन!
दूर मंदिर में घंटी ज्यों बजती सनम,
मधुरम वाणी लुभाती तुम्हारी सखी!!
जब से देखा है तुमको हे प्यारी……!

कोई कुछ भी कहे हम तुम्हारे हुए,
मानो ना मानो हम दिल हारे प्रिए!
जैसे चंदा को ताके चकोरी सखी
वैसे तकते तुम्हे ये नयन है सखी!!
जब से देखा है तुमको हे प्यारी……!

जैसे पर्वत से झरने लय मय गिरे,
जैसे नदिया धरा पर कल कल बहे!
वैसी सरगम सी बातें तुम्हारी सखी,
“शिव”के मन को चुराती हे प्यारी सखी!!
जब से देखा है तुमको हे प्यारी…….!

— डॉ. शिवदत्त शिवम

डॉ. शिवदत्त शिवम

शिक्षा B.A.M.S. आयुर्वेद स्नातक 1972 जन्म 1950 50 वर्षो से साहित्य सेवारत गीत,ग़ज़ल,गद्य-पद्य लेखन अनेको देश-विदेश के पत्र-पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन मंचीय कवि अनेको संस्थाओं द्वारा सम्मानित। आकशवाणी एवं दूरदर्शन से अनेको कार्यक्रम प्रसारित। स्वयम के फेसबुक पेज़ और यू-ट्यूब चेनल साप्ताहिक ऑन लाइन कर्यक्रम की अनवरत प्रस्तुति। अनेको नवोदित साहित्यकारों का मार्गदर्शन एवम ऑनलाइन काव्य पाठ का अवसर प्रदान कर उनमें आत्मविश्वास भरना। पता:-- शशि क्लीनिक C-240 मुरलीपुरा स्कीम जयपुर राजस्थान 302039 मोबाइल 9829640001

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