लघुकथा

सेल्फी

मम्मा, “मेरे मोजे कहां हैं?” तेरह वर्षीय मोंटू ने अपनी मां से पूछा। “मुझे नहीं मालूम, तुम खुद ही ढूंढ लो.”, मां ने कहा,

“मम्मा,आपने मेरे लिए बोतल में पानी भर दिया ना?”, मोंटू ने फिर पूछा। मां ने कहा, “खुद से भर लो।”
“मम्मा मेरे जूते कहां हैं?”
मां ने फिर कहा, “तुम जब कल स्कूल से घर आये तो कहां रखें अपने जूते, याद करो।”
यह सुनते ही मोंटू खीझकर कहने लगा, “क्या,, मम्मा आप आजकल ऐसा क्यों करती हो, पहले तो आप ही मेरे सारे काम कर…” मां बीच में ही बोल पड़ी, “पर अब तुम बड़े हो रहे हो, अपने काम खुद से करना सीखो,
बस मोबाईल पर आड़े टेढ़े मुंह बनाकर फोटो लेना ही सेल्फी नहीं है। अपना काम अपने आप करनी भी सेल्फी होता है।” मोंटू चुपचाप अपने सामान ढूंढने लगा।

— अमृता राजेन्द्र प्रसाद

अमृता जोशी

जगदलपुर. छत्तीसगढ़

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