कविता

सारा संसार

विपदाओं के बादल तो उमड़ते-घुमड़ते रहेंगे
हंसना न छोड़िए, मुस्कुराना न छोड़िए ।

शंकाओं के शूल हमेशा मन-मस्तिष्क में चुभते रहेंगे
ज्ञान का प्रकाश लेने के लिए तत्पर रहिए ।

सभी पीड़ाओं का होगा अंत निश्चित ही,
ईश्वर का सहारा सदैव लेते रहिए ।

लड़ना है तो लड़िए अंधकार से, अधर्म से
सूर्य सा तेजवान बनकर धरती के कष्ट हारिए ।

उर मंदिर में दया, धर्म, कर्त्तव्य को बिठाइए
सारा संत्रास दुनिया से मिटाइए ।

मानव मानवता का जब पाठ पढेगा
शांत, सुखी, समृद्ध सारा संसार होगा ।

— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111

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