सारा संसार
विपदाओं के बादल तो उमड़ते-घुमड़ते रहेंगे
हंसना न छोड़िए, मुस्कुराना न छोड़िए ।
शंकाओं के शूल हमेशा मन-मस्तिष्क में चुभते रहेंगे
ज्ञान का प्रकाश लेने के लिए तत्पर रहिए ।
सभी पीड़ाओं का होगा अंत निश्चित ही,
ईश्वर का सहारा सदैव लेते रहिए ।
लड़ना है तो लड़िए अंधकार से, अधर्म से
सूर्य सा तेजवान बनकर धरती के कष्ट हारिए ।
उर मंदिर में दया, धर्म, कर्त्तव्य को बिठाइए
सारा संत्रास दुनिया से मिटाइए ।
मानव मानवता का जब पाठ पढेगा
शांत, सुखी, समृद्ध सारा संसार होगा ।
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा