कविता

कविता मेरी

कविता मेरी
तू मेरे मन की मल्लिका
मेरे मन में बहती
नव सृजन रचती।

कविता मेरी
तू मेरे मन की साधना
सर्वस्व तुझपर अर्पण
दिखाती रहो सदा दर्पण ।

कविता मेरी
तू मेरे मन की गुलशन
पुष्प सी मंहको
कोयल सी चहको ।

कविता मेरी
तू मेरे मन की निर्मल गंगा
शब्द -शब्द पवित्र
बहती रहो सर्वत्र ।

— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111

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