रंग
पानी न गिरे तो नदियाँ खास नहीं होती
सूरज बिना इन्द्रधनुष की औकात नहीं होती
ये खेल है प्रेम की होली का
फूल न खिले तो खुशबू में बात नहीं होती।
नींद बिना सपनों की बात नहीं होती
दिल मिले बिना प्रेम में उजास नहीं होती
ये खेल है प्रेम की दुनिया का
जीवन में रंग ना हो तो सौंदर्य की बात नहीं होती।
— संजय वर्मा “दृष्टि”