खरमोर पक्षी दुर्लभ प्रजाति हो रही
धार जिले की सरदारपुर तहसील में रतलाम में व् मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के स्थानों के अलावा महाराष्ट्र,गुजरात, हरियाणा, आंध्रप्रदेश में भी खरमोर पक्षी देखे गए|ये खरमोर पक्षी प्रजनन काल हेतु उनके पसंदीदा स्थानों का चयन कैसे कर लेते है?ये शोध का विषय है|खरमोर पक्षी दक्षिण भारत की दिशा से उड़ान भरते हुए प्रति वर्ष आते है|कोमल घास में कुछ समय अपना प्रजननं काल व्यतीत कर दक्षिण एवं उत्तरी पूर्व भारत आदि की और लौट जाते है | दुनिया भर में कई पशु -पक्षी ऐसे है जो अपने मनपसंद स्थान का चयन अपनी याददाश्त के जरिये कर लेते है|खरमोर की आबादी समाप्त होने के पीछे कई कारणों को जिम्मेदार माना जाता है।खेती में कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग के चलते कीटों की संख्या बेहद कम होती जा रही है। इसके चलते पक्षी के सामने पेट भरने की समस्या पैदा हो गई है। यह घास वाले मैदानों में रहने वाला पक्षी है और इसके रहवास में ज्यादा से ज्यादा अब खेती होने लगी है। इससे इस पक्षी को रहने के लिए जगह नहीं मिल रही है। घास वाले मैदानों में जमीन पर ही यह अपना घोसला बनाता है। लेकिन, आवारा कुत्ते एवं जंगली जानवर इनके घोंसले को नष्ट कर इन पक्षियों के चूजों का शिकार कर लेते हैं।नरखरमोर पक्षी के सिर में आकर्षित कलगी होती हे।खरमोर पक्षी अपनी लम्बी टांगो की वजह से तेजी से दौड़ भी सकते हे।इनके लिए ,संरक्षित स्थानों को दूषित वातावरण से मुक्त रखना होगा ।अवैध शिकार करने वालों पर कड़ी कार्रवाई भी सुनिश्चित करना होगी ।जिससे पक्षियों में वृद्धि दिखाई देकर लुप्तप्राय प्रजाति को बचाया जा सके।
— संजय वर्मा ‘दॄष्टि ‘