जैव-विविधता भी जल को स्वच्छ रखने में सहायक है
जैव -विविधता बढ़ाने के लिए गंगा नदी में छोड़े गए दुर्लभ कछुए|राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत कछुओं को गंगा नदी में फिर से प्रवेश गंगा की पारिस्थितिकी को पुनः स्थापित करने की दिशा में यह पहल सराहनीय है| सरकार ने गंगा नदी को साफ़ करने हेतु जैव -विविधता में वृद्धि करने की योजना जल शुद्धिकरण के साथ पावन जल को आचमन युक्त करेगी | मप्र शासन भी ऐसी पुनीत पहल का अनुशरण करें तो मप्र में बहने वाली पवन नदियों का भी उद्धार हो सकेगा | वैसे मप्र शासन नदियों के हित में कार्य तो क्र ही रहा किंतु जैव-विविधता वाला प्रयोग भी करके देखे |कुछ वर्ष पूर्व चंबल के रेतीले टापुओं पर इंडियन स्कीमर के अंडों में विगत वर्षो की तुलना में अच्छी खासी बढ़ोतरी की थी।इंडियन स्कीमर की विशेषता ये है कि ये ऐसी मछलियों का शिकार करते है जो पानी मे गंदगी बढ़ाती है।पानी को स्वच्छ रखने वाले पक्षी का संरक्षण रखना आवश्यक है।उल्लेखनीय है कि वर्षो पहले गंगा नदी जल को स्वच्छ करने हेतु डॉल्फिन मछलियां छोड़ी गई थी।मलेरिया की रोकथाम हेतु पानी में गबुसिया मछली छोड़ी जाती ताकि मच्छर के लार्वा को पानी मे ये मछलियां चट कर सके।खैर, जल स्वच्छता अभियान जैव -विविधता के जरिये अस्वच्छ जल को स्वच्छ कर बीमारियों से निजात दिलाएगा।
— संजय वर्मा “दृष्टि”