देश में ऑनलाइन लूडो के बढ़ते खतरे पर कैसे लगेगी लगाम
रमेश, एक मध्यमवर्गीय परिवार का साधारण युवक था। शहर के एक निजी कंपनी में मामूली वेतन पर काम करता और अपने छोटे से परिवार के साथ खुशहाल जीवन बिता रहा था। उसकी दिनचर्या काम से घर और कभी-कभार दोस्तों के साथ चाय पीने तक ही सीमित थी। लेकिन कुछ महीने पहले, उसके एक सहकर्मी ने उसे ऑनलाइन लूडो के एक ऐप के बारे में बताया। शुरुआत में रमेश ने इसे सिर्फ मनोरंजन का एक साधन समझा। काम से लौटने के बाद या खाली समय में वह दोस्तों या अनजान लोगों के साथ लूडो खेलता, और कभी-कभार छोटी-मोटी बाजी भी लगा लेता।
शुरुआत में सब कुछ रोमांचक और मजेदार लग रहा था। जीत की खुशी और हार का मामूली गम, यह सब उसकी नीरस जिंदगी में एक नया रंग भर रहा था। धीरे-धीरे, रमेश इस खेल का आदी होता चला गया। अब वह काम के दौरान भी चोरी-छिपे लूडो खेलने लगा था, और घर पर परिवार को कम समय देता था। उसकी पत्नी अक्सर शिकायत करती कि वह अब पहले जैसा नहीं रहा, हमेशा फोन में ही घुसा रहता है। रमेश इन बातों को अनसुना कर देता, उसे तो बस अगली बाजी जीतने की धुन सवार रहती थी।
एक दिन, रमेश ने एक बड़े दांव पर अपनी महीने भर की कमाई लगा दी। उसे पूरा भरोसा था कि वह जीत जाएगा, लेकिन किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया और वह बुरी तरह हार गया। इस हार ने उसे अंदर तक झकझोर दिया। वह समझ नहीं पा रहा था कि अब वह घर कैसे चलाएगा और अपनी पत्नी को क्या जवाब देगा। रातों की नींद उड़ गई, और वह हर समय उदास और चिड़चिड़ा रहने लगा। रमेश अकेला नहीं था जो इस ऑनलाइन लूडो के जाल में फंसा था। भारत में ऑनलाइन लूडो का चलन तेजी से बढ़ रहा है, खासकर युवाओं और कम आय वर्ग के लोगों के बीच। इसकी आसान उपलब्धता और कम समय में ज्यादा पैसे कमाने के लालच ने लाखों लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। यह सिर्फ एक खेल नहीं रह गया है, बल्कि एक तरह का नशा बन गया है जो लोगों की जिंदगी बर्बाद कर रहा है।
ऑनलाइन लूडो के कई खतरे हैं जिन पर ध्यान देना जरूरी है। सबसे पहला खतरा है आदत लगना और लत में बदलना। यह खेल इतना आकर्षक और आसान है कि लोग आसानी से इसके आदी हो जाते हैं। लगातार खेलने की इच्छा और हर बार जीतने की उम्मीद उन्हें घंटों तक स्क्रीन से चिपके रहने पर मजबूर कर देती है, जिससे उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। नींद की कमी, आंखों में दर्द, तनाव और चिंता जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। दूसरा बड़ा खतरा है वित्तीय नुकसान। ऑनलाइन लूडो में अक्सर पैसे की बाजी लगाई जाती है। जीतने का लालच लोगों को अपनी जमा पूंजी और यहां तक कि कर्ज लेकर भी दांव लगाने के लिए प्रेरित करता है। हारने पर उन्हें भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ता है, जिससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है। कई मामले ऐसे सामने आए हैं जहां लोगों ने कर्ज के बोझ तले दबकर आत्महत्या तक कर ली है। तीसरा खतरा है सामाजिक अलगाव। जो लोग ऑनलाइन लूडो के आदी हो जाते हैं, वे धीरे-धीरे अपने परिवार और दोस्तों से दूर होने लगते हैं। उन्हें वास्तविक दुनिया से कोई सरोकार नहीं रह जाता और वे अपनी आभासी दुनिया में ही खोए रहते हैं। इससे उनके सामाजिक संबंध कमजोर हो जाते हैं और वे अकेलेपन का शिकार हो जाते हैं। चौथा खतरा है धोखाधड़ी और जालसाजी। ऑनलाइन लूडो प्लेटफॉर्म पर कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां खिलाड़ियों के साथ धोखाधड़ी की जाती है। कुछ ऐप गैरकानूनी तरीके से काम करते हैं और खिलाड़ियों से पैसे ऐंठ लेते हैं। इसके अलावा, कुछ खिलाड़ी हैकिंग या अन्य गलत तरीकों का इस्तेमाल करके दूसरों को हराते हैं, जिससे ईमानदार खिलाड़ियों को नुकसान होता है।
अब सवाल यह उठता है कि इस ऑनलाइन लूडो के बढ़ते खतरे पर लगाम कैसे लगाई जाए? इसके लिए कई स्तरों पर काम करने की जरूरत है। सबसे पहले लोगों को ऑनलाइन लूडो के खतरों के बारे में जागरूक करना होगा। इसके लिये सरकार और गैर-सरकारी संगठनों को मिलकर जागरूकता अभियान चलाने चाहिए। स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों को इसके नकारात्मक प्रभावों के बारे में बताना चाहिए। मीडिया भी इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। लोगों को यह समझना होगा कि यह सिर्फ एक मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि एक गंभीर लत बन सकता है जो उनकी जिंदगी बर्बाद कर सकता है।
इसके अलावा ऑनलाइन लूडो प्लेटफॉर्म को कानूनी दायरे में लाना जरूरी है। सरकार को ऐसे नियम और कानून बनाने चाहिए जो इन प्लेटफॉर्म की गतिविधियों को नियंत्रित करें और खिलाड़ियों के हितों की रक्षा करें। सट्टेबाजी को बढ़ावा देने वाले ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म के लिए लाइसेंसिंग और विनियमन की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि धोखाधड़ी और जालसाजी को रोका जा सके। ऑनलाइन लूडो ऐप्स में ऐसे फीचर होने चाहिए जो खिलाड़ियों को अपनी खेलने की सीमा निर्धारित करने और समय-समय पर ब्रेक लेने के लिए प्रोत्साहित करें। ऐप्स में एक चेतावनी प्रणाली होनी चाहिए जो खिलाड़ियों को अत्यधिक खेलने या पैसे गंवाने पर सतर्क करे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग करके लत लगने के शुरुआती लक्षणों का पता लगाया जा सकता है और खिलाड़ियों को समय पर सहायता प्रदान की जा सकती है।
ऑनलाइन लूडो की लत के जो लोग शिकार हो चुके हैं, उन्हें मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करना भी जरूरी है। सरकार को नशा मुक्ति केंद्रों और हेल्पलाइन नंबरों की स्थापना करनी चाहिए जहां ऐसे लोग मदद मांग सकें। परिवार और दोस्तों को भी ऐसे लोगों का समर्थन करना चाहिए और उन्हें इस लत से बाहर निकलने में मदद करनी चाहिए।इसके अलावा माता-पिता को अपने बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके बच्चे ऑनलाइन लूडो या किसी अन्य हानिकारक ऑनलाइन गेम के आदी न हों। बच्चों को स्क्रीन टाइम को सीमित करने और अन्य रचनात्मक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
बहरहाल,विभिन्न राज्यों में ऑनलाइन लूडो और अन्य ऑनलाइन गेम्स को बढ़ावा देने वाले स्टार प्रचारकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की खबरें भी सामने आती रहती हैं। सितंबर 2024 में, तमिलनाडु ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी (टीएनओजीए) ने ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए को बढ़ावा देने के लिए लगभग आधा दर्जन यूट्यूबर, इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर और एक निजी फर्म के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की।टीएनओजीए ने इन सोशल मीडिया हस्तियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए और उनके जवाबों से असंतुष्ट होने पर मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट, सैदापेट में कानूनी कार्यवाही शुरू की। यदि दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें 5 लाख से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना और तीन साल तक की जेल हो सकती है।खबरों के अनुसार, कुछ फिल्म हस्तियां जो पहले सोशल मीडिया के माध्यम से ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए को बढ़ावा देने में शामिल थीं, वे भी जांच के दायरे में हैं।
कुल मिलाकर रमेश की कहानी एक चेतावनी है। उसने मनोरंजन के लिए शुरू किया था, लेकिन कब वह इस जाल में फंस गया उसे पता ही नहीं चला। वित्तीय नुकसान और पारिवारिक कलह के बाद, उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने एक मनोचिकित्सक से सलाह ली और धीरे-धीरे इस लत से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है। उसकी कहानी उन लाखों लोगों के लिए एक सबक है जो ऑनलाइन लूडो को हल्के में ले रहे हैं।
— अजय कुमार, लखनऊ