स्वास्थ्य

तपती गर्मी में पाचन की सुस्ती

गर्मी बढ़ती है, तो अक्सर लोगों में जठराग्नि के मंद पड़ जाने की शिकायत देखी जाती है। जठराग्नि मंद पड़ने का अर्थ है कि भोजन ठीक से नहीं पच पाता। अपच बना रहता है। इस तरह शरीर में सुस्ती और ऊर्जा की कमी महसूस होती है । जाहिर है, इसका असर दैनिक कामकाज पर भी पड़ता है। इसलिए सलाह दी जाती है कि इस मौसम में हल्का-फुल्का भोजन लें, तरल पदार्थों का सेवन अधिक करें। पर जठराग्नि मंद पड़ने का संबंध केवल खानपान से नहीं होता। एक बार पाचनतंत्र कमजोर होना शुरू होता है, तो उसका दीर्घकालिक प्रभाव बना रहता है। मौसम बदलने के बाद भी वह सुचारु रूप से काम नहीं कर पाता। ऐसे में खानपान संबंधी एहतियात बरतने के साथ-साथ कुछ व्यायाम भी अवश्य करने चाहिए ।

अग्निसार व्यायाम

जठराग्नि यानी जठर की अग्नि । वह अग्नि, जो भोजन पचाने के लिए आवश्यक है। अगर वही अग्नि पेट में मंद पड़ जाए, तो भोजन ठीक से पच नहीं पाता, सड़ता रहता है। उससे विषाक्त रसायन पैदा होते हैं, एसिडिटी की समस्या गहरी होती जाती है और अनेक रोगों को जन्म देती है। जठराग्नि को प्रबल करने में अग्निसार व्यायाम बहुत कारगर साबित होता है । सुबह खाली पेट वज्रासन में बैठ जाएं। दोनों पैरों को मोड़ कर पीछे कर लें। हथोलियों को घुटनों पर रखें और हल्का दबाव बनाएं। पेट को ढीला रखें। सांस को रोक लें। पेट को हिलाएं। जितनी देर सांस रोक कर पेट को हिला सकते हैं, उतनी देर हिलाएं। यह क्रिया पांच से सात बार करें । इस तरह जठराग्नि बढ़ जाती है। भूख लगने लगती है और भोजन पचना शुरू हो जाता है।

हल्का और सुपाच्य भोजन

गर्मी के मौसम में जठराग्नि स्वाभाविक रूप से सुस्त पड़ जाती है। इसलिए तला हुआ, ज्यादा मिर्च- मसाले वाला भोजन पचाने में दिक्कत आती है। इसलिए ऐसे व्यंजनों से परहेज करना ही बेहतर रहता है । हमेशा ऐसे व्यंजन चुनें, जिन्हें पचाना आसान हो, उन्हें खाने से ऊर्जा भी भरपूर मिले। अंकुरित दालों और अनाज को भाप में पका कर खाना ज्यादा अच्छा रहता है। दलिया, खिचड़ी, उबली हुई सब्जियां, इडली आदि जैसे भाप में पके भोजन इस मौसम में ज्यादा सुपाच्य और ऊर्जा से भरपूर हो सकते हैं। तरल पदार्थ लें तेज गर्मी और गर्म हवा के कारण शरीर का पानी तेजी से सूखता है। शरीर में पानी, नमक और चीनी की मात्रा संतुलित होना बहुत जरूरी है। इसलिए इस मौसम में तरल पदार्थों का सेवन ज्यादा उचित होता है। फलों का रस, तरबूज, खरबूज, ककड़ी, खीरा इसमें ज्यादा सहायक होते हैं। इसके अलावा, छाछ, सत्तू की लस्सी, दलिया – छाछ, सौंफ का शर्बत शरीर को निर्जलीकरण से बचाते और ऊर्जा से भरपूर रखते हैं । जब भी बाहर निकलें और देर तक घर से बाहर रहना हो, तो झोले में पानी की बोतल अवश्य रखें। अगर हो सके, तो पानी में काट कर खीरे के कुछ टुकड़े, पुदीने की कुछ पत्तियां और चुटकी भर नमक अवश्य डाल लें। इससे शरीर को बहुत राहत मिलती है और पाचनतंत्र भी मंद पड़ने से बचता है।

— विजय गर्ग

*विजय गर्ग

शैक्षिक स्तंभकार, मलोट

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