कविता

हिबाकुशा

किसी की कारगुज़ारी की सज़ा ,
कोई बेकसूर आखिर क्यों भुगतेगा,
अच्छा जीवन जी रहे जब सब अपना अपना,
तो हिबाकुशा क्यों मानव बनेगा???
विकास कर लिया इतना ज्यादा,
लग पड़े रखने किसी को नष्ट करने का माद्दा,
चोरी चोरी बना रहे परमाणु हथियार,
उनको बेचकर फिर कर रहे अपना व्यापार।
याद रख जब समय का पहिया घूमेगा,
काल चक्र तब सिर पर डोलेगा,
नुकसान होगा सिर्फ इंसानियत का,
तो सोच तू खुद क्या उससे बच पाएगा।
वक्त है संभल जा इंसान अभी भी,
कर नेकी और दरिया में डाल,
चकनाचूर हो जाएगा तेरा घमंड ,
फिर हिबाकुशा ही कहलाएगा तू भी।

— डॉक्टर जय महलवाल (अनजान)

डॉ. जय महलवाल

लेफ्टिनेंट (डॉक्टर) जय महलवाल सहायक प्रोफेसर (गणित) राजकीय महाविद्यालय बिलासपुर कवि,साहित्यकार,लेखक साहित्यिक अनुभव : विगत 15 वर्षो से लेखन । प्रकाशित कृतियां : कहलूरी कलमवीर,तेजस दर्पण,आकाश कविघोष ,गिरिराज तथा अन्य अनेक कृतियां समाचार पत्रों एवम पत्रिकाओं में प्रकाशित प्राप्त सम्मान पत्रक या उपाधियां : हिंदी काव्य रत्न २०२४, कल्याण शरद शिरोमणि साहित्य सम्मान२०२२, कालेबाबा उत्कृष्ठ लेखक सम्मान२०२२,रक्तसेवा सम्मान २०२२ 22 बार रक्तदान कर चुके हैं। (व्यास रक्तदान समिति, नेहा मानव सोसाइटी, दरिद्र नारायण समिति देवभूमि ब्लड डोनर्स के तहत) महाविद्यालय में एनसीसी अधिकारी भी हैं,इनके लगभग 12 कैडेट्स विभिन्न सरकारी (पुलिस,वन विभाग,कृषि विभाग,aims) सेवाओं में कार्यरत हैं। 1 विद्यार्थी सहायक प्रोफेसर और 1 विद्यार्थी देश के प्रतिष्ठित संस्थान IIT में सेवाएं दे रहे हैं। हाल ही में इनको हिंदी काव्य रत्न की उपाधि (10 जनवरी) शब्द प्रतिभा बहुक्षेत्रीय सम्मान फाउंडेशन नेपाल द्वारा नवाजा गया है। राष्ट्रीय एकता अवार्ड 2024 (राष्ट्रीय सर्वधर्म समभाव मंच) ई– ०१ प्रोफेसर कॉलोनी राजकीय महाविद्यालय बिलासपुर हिमाचल प्रदेश पिन १७४००१ सचलभाष ९४१८३५३४६१

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