ऑपरेशन सिंदूर
जब बहा पहलगाम में निर्दोषों का खून,
उठा तब भारत में प्रतिशोध का जुनून,
आँखों में ज्वाला, सीने में गुरूर,
यहीं से शुरू हुआ ऑपरेशन सिंदूर ।
छिन गया जब सुहागिनों की मांग का सिंदूर,
बिखर गया कई घरों का नूर।
उसी सिंदूर की लाज रखने को फिर,
गूंज उठा रण में “ऑपरेशन सिंदूर”।
छिपे थे जो दुश्मन सीमाओं के पार,
भारत के साहस ने किया उनका संहार।
राफेल बना गर्जन, बम बने प्रहार
वीरों ने रच दिया साहस का संहार।
कर्नल सोफिया, शक्ति की मिसाल,
रण में डटी, रही निष्कलंक ढाल।
रणनीति की रानी, साहस की खान,
गर्व करे जिस पर पूरा हिंदुस्तान।
विंग कमांडर व्योमिका नभ की वीरांगना,
हवाओं में घूमें जैसे कोई अग्निकन्या।
न डर, न रुकावट, बस साहस की लहर,
जहाँ दुश्मन थे मौन, बन उठी वहीं तूफ़ान,
और दिया उन्हें अपनी वीरता का प्रमाण।
लहराया तिरंगा फिर एक बार,
सिंधु से हिमालय तक जयजयकार।
वीरों की गाथा, नारी का नूर —
यही कहानी है “ऑपरेशन सिंदूर”।
— विशाल सोनी