एक लम्हे की दूरी
बडे जतन से बुना,
जो रिश्ता हमने!
सहेज हर धागे को,
पिरोया लम्हों में!
तोड दी एक पल मैं,
ख्वावों की ताबीर उसने!
किया जतन तो बहुत ,
पर न बुन पाये!
एक लम्हे की दूरी ,
आ ही गयी!
…राधा श्रोत्रिय”आशा”
०८-०८-२०१४
बडे जतन से बुना,
जो रिश्ता हमने!
सहेज हर धागे को,
पिरोया लम्हों में!
तोड दी एक पल मैं,
ख्वावों की ताबीर उसने!
किया जतन तो बहुत ,
पर न बुन पाये!
एक लम्हे की दूरी ,
आ ही गयी!
…राधा श्रोत्रिय”आशा”
०८-०८-२०१४
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कम शब्दों में गहरी बात ! वाह !!
sundar