सपना अच्छा है …..
हम तो हैं बीबी के सताये हुए
जब पहले हम आशिक़ थे
एक फूल देते थे और
हफ़्तों के सपने खरीद लेते थे
जब से जान क्या उनको दे दी
अब ये आलम है की
जब देखो बेलन हैं उठाये हुए
अब जितने भी फूल दे दो
रहते हैं माँ काली का
रूप बनाये हुऐ
जो मर्ज़ी करलो
हम से हैं खार खाये हुए
देखो इस शेर को भी
हैं गीदड़ बनाये हुये
राजा भी इनसे डरते थे
तभी तो थे हरम बनाये हुए
दो तीन होतीं
तो शायद बच जाते हम
वोह रहतीं आपस में ही
महफ़िल जमाये हुए
एक…. होगी तो
शायद लड़ाई मुझ से होगी ….
दो…. की लड़ाई आपस में होगी
मगर मैं बीच में पिस जाऊँगा ….
तीन…. ठीक हैं
क्यों की फ़िर राजनीती शुरु होगी
ऊपर से मिल के रहेंगी
मगर अंडरवर्ल्ड की लड़ाई होगी
कई गठबंधन होंगें
और मैं राजा बन जाउंगा
तब शायद शांति से
कविता लिख पाउँगा …..
सपना अच्छा है …..
……..मोहन सेठी ‘इंतज़ार’
भाई यह तीन भी आप का बस खियाल ही है कि वोह राजनीति में उलझी रहेंगी , अगर गाँठ जोड़ हो गिया तो भारी मुसीबत का सामना भी करना पड़ सकता है.
हा…हा… सपना भी देखा तो कैसा…. यहाँ एक से ही नाक में दम है, आप तीन तीन के सपने देख रहे हैं.