प्रिय कितने रूप तुम्हारे हैं !!!
प्रेम , हर्ष , लज्जा , विरह , कभी नयना अश्रु धारे हैं कभी तो सच भी बतला दो, प्रिय
Read Moreप्रेम , हर्ष , लज्जा , विरह , कभी नयना अश्रु धारे हैं कभी तो सच भी बतला दो, प्रिय
Read Moreतुम अविनाशी ब्रह्म ज्ञान, मैं व्यथित हृदय का हूँ क्रन्दन तुम पारस पाषाण प्रिये मुझ लौह को भी कर
Read Moreब्रम्हा, विष्णु, महेश हूँ मैं, ..अब मैं कृष्ण महान ही हूँ जब से तुमसे प्रेम हुआ है, प्रियतम मैं भगवान्
Read Moreकाल के अट्टहास के प्रतीक या शाश्वत रुपी सत्य का बोध कराते पुराने खंडहर ………………….. स्वयं में समेटे हुए अनगिनत
Read Moreधर्म-कर्म के मर्म को छोड़ो, ….प्रेम का मत उपहास करो प्रेम किया है तुमनें तो प्रिय,…. प्रेम का बस आभास करो मैं
Read Moreतेरो जोर नाय चलत घट घट पेकान्हा भरी मटकी जात पनघट तेतेरो जोर नाय चलत घट घट पेकान्हा भरी मटकी
Read Moreकभी समय की ठोकर से, यदि हिल जाएँ विश्वास मेरे कभी जो तुमसे कहने को यदि, शब्द नहीं हों पास
Read Moreनागफनी खा ही जाती है, ऊँचे छायादारों को हमनें भी तो पाल के रक्खा है सारे गद्दारों को अधिक सहन-शक्ति
Read Moreकुछ आत्ममुग्ध बूढ़े कुछ अंधभक्त शिष्याएं बूढों को लगता है कि वो हैं साहित्यिक धरोहर वो लिखते है कुछ भी …..बिना तर्क का
Read Moreअपना देश न संभल रहा और नई जागीर चाहिए जो ख़ुद है भूखा–नंगा, उसको भी कश्मीर चाहिए धर्म के नाम पर हुआ
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