कविता – आदमी की फ़ितरत
मेरे बदन से तू लिपट तो गया है इश्क का फरेबी जाल गूथकर अज़ीज दिलबर की तरह मगर मुझे पता
Read Moreमेरे बदन से तू लिपट तो गया है इश्क का फरेबी जाल गूथकर अज़ीज दिलबर की तरह मगर मुझे पता
Read Moreअच्छी-सी किताब की सुगन्ध लुभा लेती है मेरे मन को और सुगन्ध तो नई किताब से भी आती है मगर
Read Moreनन्हीं गौरैया उड़ते-उड़ते चली आई मेरे कमरे में मैंने तुरन्त लपककर बन्द कर दिया खिड़की और दरवाजा और पकड़ने लगा
Read Moreजलकुंभी तालाब में बह आयी हाय रे किसी ने देखा नहीं देखा भी तो निकाला नहीं वह फैलती ही गई
Read Moreख़ुदा मुझे पता है तू सब कुछ कर सकता है फिर भी कुछ तो है जो तू नहीं कर सकता।
Read Moreमण्डेला का निधन या फिर सदीं का ठहराव क्या कहें इसे एक योद्धा जो रहा अपराजेय जिसने जीती हर बाजी
Read Moreतुम्हारे प्यार की तासीर में बेचैन मेरा दिल, तुम्हे पाने की हर तदबीर में बेचैन मेरा दिल। अधूरी ख़्वाहिशें मेरी
Read Moreशेर है कि – काम तो सिर्फ़ काम होता है काम छोटा-बड़ा नहीं होता।। – अमन चाँदपुरी
Read Moreहाइकु ‘हिन्दी साहित्य’ में एक बहुचर्चित एवं लोकप्रिय विधा के रूप में निरन्तर प्रगति कर रहा है। हिन्दी कवि, कवयित्रिओं
Read Moreमेरी पहली कुंडलिया :- खालीहांड़ी देख कर, बालक हुआ उदास। फिर भी माँ से कह रहा, भूख लगी ना प्यास।।
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