मुक्तक
कोई पुरखों की मिल्कियत बचाना चाहता है। कोई कुनबे की इज्जत बचाना चाहता है। हे भगवान रक्षा करना मेरे वतन
Read Moreमेरे अरमानों को क्यों किया तार-तार, इनकी फरमाइश की थी तो बार-बार। जब भी देखा हुजूम तेरे फरिस्तों का, याद
Read Moreनभ के हर कोने पर,तेरी ही रानाई है, ये कैसी बारिश आई है। अधरों के तपते शोलों पर,शबनम की बूँद
Read Moreबेटी के मेले जाने की जिद और बढ़ गयी बुधिया की धड़कनें जैसे स्वीकृति नहीं क्या माँग लिया हो कोई
Read Moreसारी डिग्री सारा नंबर व्यर्थ हो गया , मामा जी के राज में अनर्थ हो गया। माँ के आँखों का
Read Moreमैं विद्रोही नहीं बनूँगा मै अवरोही नहीं बनूँगा। तुम उद्दंड भले हो जाओ, मैं निर्मोही नहीं बनूँगा। स्वप्न सदा देखा
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