शीर्षक -तेज़ाब से वार
बोझिल तन आहत मन मौन व्रत वह धरती है। तेजाब पड़ा है श्राप यही साँस गले का फाँस बनी।। दर्द
Read Moreबोझिल तन आहत मन मौन व्रत वह धरती है। तेजाब पड़ा है श्राप यही साँस गले का फाँस बनी।। दर्द
Read Moreबिखरे अरमान ,भीगे नयन, और यह चीरती तन्हाई । आँखों की तिजोरी से मोती बिखेरती कैसी बदहाली छाई।। घुँघरू सी
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