कविता
बढ़े चलो बढ़े चलो विहंग दिव्य दृष्टि से, उमंगों की वृष्टि से। लक्ष्य को तुम साध लो, विपत्तियों को बांध
Read More“एक शाम-उनके नाम” चलो आज हम एक नया काम करते हैं, ये दिन भूखे-गरीबों के नाम करते हैं। कुछ रोटियां
Read More‘जल है जीवन’ सूख जाएगा इक दिन पानी, करते रहे अगर तुम मनमानी। इसको बचाओ, मान लो भाई, ‘जल है
Read Moreऐ परिन्दे! उड़, अभी तेरी उड़ान बाकी है; नजर ऊपर तो उठा, अभी पूरा आसमान बाकी है। निर्मल-नील-गगन में गुनगुनाता
Read Moreशहीद दिवस पर वीर शहीदों को नमन। देश के एक सच्चे वीर सैनिक की ‘चाहत’—- ऐ खुदा ! मेरी तक़दीर
Read Moreऐ कोकिल! तू रूठ मत, पतझड़ का मौसम जाएगा; बसंत में बगिया खिल जाएगी, नया सवेरा आएगा। नयी-नयी कलियां आएंगी
Read Moreजीवन के कोरे कागज पर, कर्मों की गाथा लिख दे ; विस्तृत नील गगन पर, सफलता की परिभाषा लिख दे।
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