Author: अनुत्तरा दिव्यांजली

कविता

सुन्दर सागर हूँ मैं

लगातार बहनासूर्योदय का उदय दिखानाठंडी-ठंडी सुबहसमुद्र के किनारे हूँ मैं ।ताज़गी देनेवालासुंदर समुद्र तटदुखी और खुशी स्थितियों मेंएक औषध है

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