Author: डॉ. अरुण कुमार निषाद

गीत/नवगीत

अन्तर्द्वन्द्व

अन्तर्द्वन्द्व विचारों के उठते-गिरते ज्वारभाटे मरती संवेदनाएं सिमटते रिश्ते बेचैनियां बदहवासियां वासनाएं वर्जनाएं पल प्रतिपल मन की तरंगे उनका प्रवाह

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पुस्तक समीक्षा

प्रकृति-संरक्षण की चिन्ता : संस्कृत- काव्यों में पर्यावरण का दैव स्वरुप

परि+ आवरण शब्दों की संधि करने पर पर्यावरण शब्द बनता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है जो परित: (चारों ओर) आवृत

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