गीतिका/ग़ज़ल अरविन्द असर 30/11/201608/12/2016 ग़ज़ल सफ़र घर वापसी का है, मजे का है खुशी का है संभल कर नाव से उतरें. किनारा ये नदी का Read More
गीतिका/ग़ज़ल अरविन्द असर 15/09/2016 ग़ज़ल मैं समझता हूँ कि ये इन्सानियत की हार है. आदमी का आदमी से जो बुरा व्यवहार है इसमे घाटे का Read More