गीत
भर रहा है समय प्राण में गीत को भूल कर वेदना साध संगीत को भोर का शीश है रेत के पाँव
Read Moreएक पिता ने अँगुली छोड़ी सारा पीहर छूट गया, गुड्डे-गुडडी वाली ताकें, बचपन का घर छूट गया सावन में संदेश
Read Moreशिक्षा मंदिर में जला, सदा ज्ञान का दीप । मोती गढ़ते रात दिन, बना स्वयं को सीप बहते शिक्षक हर दिशा,
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