दोहे राजनीति पर
दोहे 1-उत्सव होइ चुनाव का,बजैं जाति के ढोल। खाई जनता में बढ़े,सुन सुन कड़ुवे बोल।। 2-जातिवाद अभिशाप है,लोकतंत्र के देश।
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Read Moreरजनी साथ रहे उडगन। न अब रजनी न अब उडगन।। बीती विभावरी छाई मुस्कान। खग कुल की है मीठी तान।।
Read Moreराणा ने खाई घास की रोटियाँ, शैया जिनकी कंकड़ पर। अरावली की पहाड़ियाँ भी, राणा संग हो गई अमर।। अकबर
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