चल दिया
खाया पिया चल दिया पूछा, क्यों भाई क्या हुआ? क्यों भोजन से मुँह फेर लिया? क्यों थाली को खिसका दिया।
Read Moreमैं बीज हूँ दबा हूँ मिट्टी में ॉछुपा बैठा हूँ देखता इर्दगिर्द। मैं सदा सादा जीवन जीता हूँ भरता हूँ
Read Moreबुझा बुझा जीवन है शायद अपना आशा निराशा है मन में कटु जटिलता पनपती है संघर्ष भरे दौर है दीप
Read Moreक्या हुआ? क्यों सड़क पर? पैर फैलाये बैठे हो क्या कोई तकलीफ है? या दुख सिर पर सवार है बताओ
Read Moreबेटा टाॅफी मत खा दाँत गल जाएंगे झड़ जाएंगे सड़ जाएंगे दर्द होगा कीड़ा लग जाएगा मुझे भी दुख होगा।
Read Moreक्यों? राख हथेली पर रखूँ सवाल करूँ हल्के फुल्के उलझे अपनों से अभी राख चंद मिनटों में उड़ जाएगी या
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