शीशम
धीरे-धीरे सड़क किनारे बड़ा हुआ शीशम केवल अपने बलबूते पर, खड़ा हुआ शीशम दिन भर जितना तपा धूप में, उतना
Read Moreकर-कर सेवा पाई मेवा, अब सारे मकरंद हो गए झाड़ कटीले वन-उपवन के जो-जो उन्हें पसंद हो गए दूर रहे
Read Moreकब वहाँ पर प्यार की बातें हुईं जब हुईं तकरार की बातें हुईं पल दो’ पल कचनार की बातें हुईं
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