” ——————————— तेरे सदके बहार आइ है ” !!
मैंने जब जब भी चोंट खाइ है ! मां तेरी याद मुझको आइ है !! तूने चलना सिखाया राहों
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Read Moreमनमोहन जी ने समय से पहले 2 वर्ष पूर्व ही स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले लिया था ! पत्नी राधिका ने
Read Moreखिले खिले से फूल यहां हैं , महकी महकी शाम है ! खामोशी हो चाहे लबों पे , चुप
Read Moreबात बात पर गाली देते , एसा चढ़ा बुखार है ! राजनीति में आम हो गया , कहते इसे
Read Moreरुख़सारों को लटें चूमती , इतराये हो फिर से ! दर्पण में प्रतिबिम्ब निहारा , शरमाये हो फिर से !!
Read Moreवो कहाँ किसी की मानता है ! वक़्त आजमाना जानता है !! झण्डे , नारे , जोश ,जनसमूह !
Read Moreयादों की जागीर हमारी , झांको ज़रा इधर भी ! अलकों के साये में बसती , प्यारी एक लहर भी
Read Moreहंसी तुम्हारी बड़ी मधुरतम , होश उड़ाती जाये ! लगे प्रेम की डगर सुहानी , ये मन भाती जाये !!
Read Moreऐक झलक पाने को तरसे ,छिपे चाँद के जैसे ! गन्ध संदली कैसे भूलें , मधुवन को हम तरसे !!
Read Moreहंसती आंखें करे शरारत , अधर बसी मुस्कान! यही अदाऐं मन को भाती, तुम रत्नों की खान !! नाम हमारा
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