गजल : संग हवा लहराऊँ!!
आज कंगनवा हठ कर बैठे, कैसे हाथ चढ़ाऊँ आज लगे श्रृंगार अधूरा, कैसे मन समझाऊँ सतरंगी सपने आंखों में, करते
Read Moreआज कंगनवा हठ कर बैठे, कैसे हाथ चढ़ाऊँ आज लगे श्रृंगार अधूरा, कैसे मन समझाऊँ सतरंगी सपने आंखों में, करते
Read Moreफौज यहां लड़ती है , नेता श्रेय लेते हैं ! शीश जहां झुकना हो , मुंह को फेर लेते
Read Moreतेरे मन की भाषा जानूँ , खड़ी खड़ी मुस्काउं ! जुल्फों की जंजीर न बाँधूँ , आओ इसे लहराउं
Read Moreतेरी चाहत को पूजा है , सिर माथे बिठलाया ! आँखियों में क्यों नमी तैरती , कोई जान न पाया
Read Moreयहां विदेशी शरण पा रहे इनके कई हितैषी ! देश की चिंता यहां किसे है , मन भाये परदेसी !!
Read Moreरूप कटीला , नयन नशीले , बांकी सी चितवन है !! तेरे बिन सूना है सब कुछ , यहां बसे
Read Moreरची बसी साँसों में हिंदी , हर दिल की धड़कन है ! हिन्द देश के हम रहवासी , हिंदी जीवन
Read Moreमन की बातें कही ना जाए , खामोशी में पलती ! यही वेदना अगर मुखर हो , अश्कों में है
Read Moreआंखों में खुशियां छलके है , यादें बनी झरोखा ! यायावरी हुआ है मनवा , खुद से खा गए धोखा
Read Moreउम्र सीढ़ीयां चढ़ती जाये , यौवन भरे कुलांचे ! कैसे दिल का हाल बतायें , मन मयूर है नाचे !!
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