” आश्रय दें घर तेरे मेरे ” !!
छाया , कृपा , निवास , निकेतन – हैं कुटीर , आवास घनेरे ! सबके मन में चाहत पलती
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Read Moreदहक रहे हैं दामन सबके , अब तो यह सब टलना होगा ! जंगल जंगल आग लगी है , कब
Read Moreरीता बन्धन , रीती गाँठे , मैं रीती या जग रीता !! दामन से जिसको बांधा था , छूट
Read Moreखूब हम जतन किये , सभी जुटे यही किया ! ऐक हैं दिखा दिये , अभी किया सही किया
Read Moreपसरी पसरी धूप है , दिन भी हुए निढाल ! कोप करे सूरज तपे , होकर लालम लाल !!
Read Moreखगों का कलरव , भोर की लाली ! सूरज जैसे , हुआ सवाली !! रातें रातें , कहाँ रही
Read Moreबहारें वही हैं , नज़ारे वही हैं ! पुकारा किसी ने , हमारे वही हैं !! यहां है नहीं वे
Read Moreबरसों से चलता आया है , नेताओं का खेल !! एक दूजे के घोर विरोधी, जब चुनाव में उतरें
Read Moreरंग केसरी , सज़ धज मेरी ! पुलकित मनसिज , देह धनुष सी ! बन्द पलक में , छिपे
Read Moreयादें खड़ी , ले आइना , कह दो ज़माना हो गया ! हम तुम मिले , लग कर गले
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