*******नदी*****
*******नदी***** ———————- कैसे कैसे बाधाओं से गुजर बनाई होगी धरती के सीने पर अपनी राह वही जानती होगी कभी पहाड़
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Read Moreजितनी सरल ! उतनी जटिल! कविता तुम एक तिल्लसमी हो !! कभी स्वत: ही भावों के अनुरूप
Read Moreयाद है मुझे पिछ्ले बरस का वो पहला सावन अचानक ही बरसी थी बूँदें झमाझम बना था एक बहाना साथ
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