संस्मरण – सुगंध
“इतने बड़े दिल्ली शहर में रहती हूँ पिछले बीस वर्षों से | कभी वो महक मेरी साँसों में समाई ही
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Read More‘चिंटू के पापा, आज का बात है, बड़ा चेहरे पर गौर फरमाई रए हो, खुद ही सेव बनई रए हो,
Read Moreआप ये हेडिंग पढ़कर चौंकिए मत ! कहीं ये आपके मन की ही बात तो नहीं उजागर कर रही। घबराइए मत।
Read Moreमैं स्ट्रीट फूड वाला सब कहते-लिखते मजदूरों का दर्द, बनते किसानों के भी हमदर्द, पर नहीं देखा मेरी ओर किसी
Read Moreदेश के ग़द्दारो अब तुमसे बग़ावत ज़रूरी है, वतन की ख़ातिर मिट जाने को चाहत ज़रूरी है । गुनाह किया
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