यशोदानंदन-४३
नन्द बाबा ने ब्रह्मास्त्र चला ही दिया। सारे संसार को समझाना आसान था लेकिन मैया को? बाप रे बाप! वे
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Read Moreअक्रूर जी कुछ क्षणों तक मौन रहे। वे स्पष्ट शब्दों में कैसे बताते कि किस निमित्त उन्होंने यात्रा की है?
Read Moreअक्रूर जी ने कंस का कथन बड़े ध्यान से सुना। कुछ समय मौन रहकर विचार किया – यदि वह बालक
Read More“हे सच्चिदानन्द स्वरूप श्रीकृष्ण! आपका यह अद्भुत रूप मन और वाणी का विषय नहीं है। आप योगेश्वर हैं। सारे जगत
Read Moreअपनी अद्भुत लीला समाप्त कर श्रीकृष्ण ने व्रज लौटने का निश्चय किया। व्रज में श्रीकृष्ण की अनुपस्थिति से प्रोत्साहित अरिष्टासुर
Read Moreपहली बार श्रीकृष्ण निरुत्तर हुए थे। जिसके पास ब्रह्माण्ड के सभी प्रश्नों के उत्तर थे, वह राधा के सामने चुप
Read Moreवह शरद-पूर्णिमा की रात थी। बेला, चमेली, गुलाब, रातरानी की सुगंध से समस्त वातावरण मह-मह कर रहा था। चन्द्रदेव ने
Read Moreआश्चर्य! घोर आश्चर्य!! सात वर्ष का बालक गोवर्धन जैसे महापर्वत को अपनी ऊंगली पर सात दिनों तक धारण किए रहा।
Read Moreदेवराज इन्द्र का आदेश पाते ही समस्त घातक बादल वृन्दावन के उपर प्रकट हुए। वहां निरन्तर बिजली की चमक, बादलों
Read Moreवर्षा ऋतु और सम्यक वृष्टि के नियामक देवराज इन्द्र को प्रसन्न करने हेतु व्रज में विशाल यज्ञ करने की प्रथा
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