फरेब
क्या कहे तुम से की दिल भी ना जाने, मोहब्बत तो हमने भी की पर तुम ना जाने, तेरी गलियों
Read Moreवो बचपन की पहली बारिश याद है हमें , जब मैंने उसे अपने हाथों पर महसूस किया था ! जब
Read Moreअपने अरमानों को अधूरा छोड़ कर, जो हमारे अरमान पूरे करें, वह है पिता ! जो ख़ुद दर्द में भी
Read Moreआगमन के ‘काफ़िला -1’ ( सफर कविता के साथ ) का रविवार 17 जून 2018 को हिंदी भवन नयी दिल्ली
Read Moreआपके आने से , या ना आने से, मुझे अब कोई फर्क नहीं पड़ता , क्योंकि अब आपके लिए मेरे
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