अंबर के गर्त में
जब हम करते गुज़ारिश बादल से,बरस जाओ मेह अब अंबर सेतब सोचा है,रेगिस्तानी माटी बड़ी तपती होगी,जो नज़ारा रेगिस्तान की
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