गीतिका/ग़ज़ल धर्म पाण्डेय 22/11/2015 ग़ज़ल उस का एहसास मर गया कैसे । प्यार करके मुकर गया कैसे । आइना सच दिखाने में माहिर टूटकर खुद Read More
गीतिका/ग़ज़ल धर्म पाण्डेय 21/11/2015 ग़ज़ल आग सीने में जब लगी होगी । होठ पर कैसे फिर हँसी होगी । प्यार में हाथ छूट जाये तो Read More
गीतिका/ग़ज़ल धर्म पाण्डेय 21/11/2015 ग़ज़ल भूख सबकी मिटा ही दी जाये क्यों न रोटी भी बाँट ली जाये । रेत जैसे फिसल रही अब Read More
गीतिका/ग़ज़ल धर्म पाण्डेय 10/11/2015 ग़ज़ल तेरी चाहतों का जहाँ और भी है मगर प्यार मुझसा कहाँ और भी है हमारी नजर ढूढ़ती बस तुम्ही को Read More
गीतिका/ग़ज़ल धर्म पाण्डेय 04/11/2015 ग़ज़ल आप चादर ओढ़ कर क्यों फिर रहे अभिमान की बोझ सी है जिंदगी कीमत नहीं है जान की राह पर Read More
गीतिका/ग़ज़ल धर्म पाण्डेय 29/10/2015 ग़ज़ल सभी आप से दिल लगाने लगे हैं मुहब्बत दिखा कर जलाने लगे हैं बसाया तुझे दिल में मूरत बना कर Read More
गीतिका/ग़ज़ल धर्म पाण्डेय 26/10/2015 ग़ज़ल किसी की आँख का तारा रहा हूँ । जमाने में बहुत प्यारा रहा हूँ । जमीरों का नही शौदा किया Read More
गीतिका/ग़ज़ल धर्म पाण्डेय 24/10/201524/10/2015 गजल बेखुदी में करार होता है प्यार जब बेसुमार होता है । रूठता है अगर सनम मेरा दर्द बेइख़्तियार होता Read More
गीतिका/ग़ज़ल धर्म पाण्डेय 24/10/201524/10/2015 ग़ज़ल भले कट रही बेसबब जिंदगी है लबो पर हमारे मुकम्मल हँसी है । हमारी वफ़ा का सिला ये मिला है Read More
गीतिका/ग़ज़ल धर्म पाण्डेय 19/10/201519/10/2015 ग़ज़ल कैसे समझें कब निकलेगी जान कहाँ। पल पल मरने वाले को ये भान कहाँ। मानवता से रिश्ता जोड़ो दुनिया में Read More