कहानी – लाडली बहु
बिल्कुल सीधी, सरल , सौम्यता की मूरत, पति को परमेश्वर मानना अपना गौरव समझना , हर दिन भगवान की पूजा
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Read Moreरामापुरम यूनिवर्सिटी दक्षिण भारत का एक जाना -माना यूनिवर्सिटी, जहां बच्चों की पढ़ने की होड़, आखिर हो भी क्यों ना!
Read Moreसर्दियों अपना कहर ढा रही थी । चूल्हा- चौका का काम तो मानो एक पहाड़ बना हुआ था। किसी तरह
Read Moreगोरा बदन ,बॉय कट बाल, तिरछी नजर, फूल जैसा कोमल चेहरा और मुस्कुराहट चेहरे का प्रमुख आभूषण , उसके मुस्कुराने
Read Moreकड़ाके की सर्दी थी। पूरी प्रकृति चांदी की अर्क से ढकी पड़ी थी। दुल्हन सी सजी कलियां खिलने के लिए
Read Moreसर्दियों का मौसम था ।सूरज की मीठी किरणें रोम- रोम को महका रही थी। छुट -पुट दुकाने भी लग ही
Read Moreमौसम का मिजाज बदल रहा था। एक तरफ चिलचिलाती गर्मी तो दूसरी तरफ बारिश ने अपना कब्जा जमा रखा था।
Read Moreनौ बज चुके थे ।बड़ी सी ताला लगा दोनों निकल पड़े अपनी मंजिल की ओर । कागज पलटते कब स्ट्रीट
Read Moreपिता के संस्कार और शिक्षा के कारण पुत्र भी घर को एक मंदिर ही मानता था। इसलिए वक्त के साथ
Read Moreकरीब दो वर्षों बाद तूलिका को बेटे शुभम और पति नरेश के साथ एक लंबी यात्रा पर जाने का अवसर
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