नींद
नींद की बात होने लगी है बहुत,रात पलकों पे’ सोने लगी है बहुत। तल्खियों से न हासिल हुआ कुछ यहाँ,तल्खियाँ
Read Moreशिखा ने अपने घर के पीछे की जमीन पर रंग-बिरंगे फूलों की एक छोटी-सी बगिया बना ली थी। देखभाल के
Read Moreइस धरा पर जन्म का उपहार माँ से ही मिला,गर्भ में संस्कार का आचार माँ से ही मिला। माँ सदा
Read Moreअपने हाथों को फैलाकर, दिन का स्वागत करती हूँ।पंख नहीं दिखते हैं मेरे, किंतु उड़ानें भरती हूँ ।। सूरज ने
Read Moreकितनी भी मुट्ठी में बंद करना चाहो,कितनी भी मीठी बातों में उलझाना चाहो,कितने भी लालच दे लोकितने भी यत्न कर
Read Moreमैं किताब हूँ,एक खुली किताब!जिसके कुछ शब्दों के अर्थशब्दकोश में नहीं मिलेंगे,दिल की डिक्शनरी खोलनी होगी।कुछ शब्दों कोभावनाओं की तलहटी
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