विधु ! छोड़ अब व्योम चला जा!
मुस्काया प्राची-पथ दिनकर, गुंचे पर मड़राया मधुकर, नीड़ त्यागकर मधुर कंठ से,पख़ी, नवल नवगीत सुना जा। विधु ! छोड़ अब
Read Moreमुस्काया प्राची-पथ दिनकर, गुंचे पर मड़राया मधुकर, नीड़ त्यागकर मधुर कंठ से,पख़ी, नवल नवगीत सुना जा। विधु ! छोड़ अब
Read Moreजिसके अंतस में ममता का सागर उमड़ा, जिसके पयोधर में ममता का पयोधर घुमड़ा। राम! मेरे ओ राम ! राम
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