गीतिका/ग़ज़ल जयनित कुमार मेहता 01/12/201529/11/2015 ग़ज़ल जात-मज़हब के सभी पर्दे हटाकर देखो हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई को बराबर देखो लाख तीरथ करो,या पूज के पत्थर देखो न मिलेगा रब, Read More
गीतिका/ग़ज़ल जयनित कुमार मेहता 29/11/2015 ग़ज़ल कभी है ग़म,कभी थोड़ी ख़ुशी है इसी का नाम ही तो ज़िन्दगी है हमें सौगात चाहत की मिली है ये Read More