Author: जयति जैन 'नूतन'

कविताब्लॉग/परिचर्चालेख

कविता : जो खुद को सेक्युलर नहीं मानते उनके लिए

बाहर हैं तो अभी सीधा घर जाइये घर जाकर टी.वी. में आग लगाइये सभी जाति -धर्म के लोग दिखाई देगें

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